Deepawali 2025(दीपावली 2025 )

दीपावली का त्यौहार कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है, इस दिन लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है जिससे घर में सुख-समृद्धि आती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान राम के 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोद्ध्या लौटे थे , उनके लौटने की खुशी में यह त्योहार मनाया जाता है। इस बार दिवाली की तारीख को लेकर फिर से कंफ्यूजन बना हुआ है। आइए जानते हैं दिवाली कब है।
दीपावली :
हिंदू धर्म में दीपावली के त्योहार को विशेष माना गया है. कार्तिक मास की अमावस्या तिथि के दिन दीपावली पर लक्ष्मी जी के पूजन का विधान है. कहा जाता है कि इस दिन लक्ष्मी मां की आराधना करने से घर में सुख-समृद्धि आती है.
मान्यता है कि इस दिन श्रीराम 14 साल का वनवास कर अयोध्या लौटे थे उनके लौटने की खुशी में दीपावली मनाई गई है .दीपावली का त्यौहार 5 दिन का त्योहार है जो धनतेरस से शुरू हो जाता है और भाई दूज तक रहता है. 2025 में दिवाली कब मनाई जाएगी, जाने सही तारीख ,शुभ मुहूर्त.
दीपावली 2025 में कब है :

दीपावली का त्यौहार कार्तिक मास के अमावश्या तिथि को मनाई जाती है !दीपावली का प्राचीन नाम “दीपोत्सव” भी है, जिसका अर्थ है दीपों के साथ उत्सव मनाना है।
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साल 2025 में दिवाली 20 अक्टूबर दिन सोमवार को मनाई जाएगी। इस दिन लक्ष्मी जी की पूजा सूर्यास्त के बाद करने का विधान है।दीपावली को “दीप उत्सव” भी कहा जाता है, क्योंकि इसका अर्थ होता है “दीपों की अवली”, यानी दीपों की पंक्ति। यह पर्व अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है।
दीपावली 2025 शुभ -मुहूर्त :
पंचागं के अनुसार कार्तिक मास की अमावस्या तिथि 20 अक्टूबर 2025 को दोपहर 03 बजकर 44 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 21 अक्टूबर को शाम 05 बजकर 54 मिनट पर समाप्त होगी.
निशिता काल का शुभ -मुहूर्त – रात 11.41 – प्रात: 12.31, 21 अक्टूबर
लक्ष्मी पूजा का शुभ समय – रात 07.08 – रात 08.18
प्रदोष काल का समय – शाम 05:46 – रात 08:18
वृषभ काल का समय – रात 07.08 – रात 09.03
दीपावली का त्यौहार 5 दिन का त्यौहार होता है :
- धनतेरस – 17 अक्टूबर 2025
- नरक चतुर्दशी – 18 अक्टूबर 2025
- दिवाली – 20 अक्टूबर 2025
- कार्तिक अमावस्या – 21 अक्टूबर 2025
- गोवर्धन पूजा – 22 अक्टूबर 2025
- भाई दूज – 23 अक्टूबर 2025
- दिवाली का पहला दिन – धनतेरस – यह धन और समृद्धि का एक शुभ दिन माना जाता है। लोग अपने घरों को मिट्टी के दीयों, मोमबत्तियों और फूलों से सजाते हैं।घर के द्वार रंगोली से सजाते हैं
- दूसरा दिन—काली चौदस— यह दिन घर से बुराइयों को दूर करने के लिए समर्पित है। इस दिन लोग देवी काली की पूजा करते हैं, जो नकारात्मक ऊर्जा, रोग और बुरे प्रभावों का नाश करती हैं।
- तीसरा दिन—दिवाली का मुख्य दिन—दीपावली का दिन अंधकार पर प्रकाश की विजय को समर्पित है। लोग मिट्टी के दीये जलाकर जश्न मनाते हैं, यह आंतरिक प्रकाश का प्रतीक हैं। यह देवी लक्ष्मी का जन्मदिन और पूजा का दिन है, जिसके बाद पारिवारिक भोज, मिठाइयों का आदान-प्रदान और आतिशबाजी होती है।
- चौथा दिन—गोवर्धन पूजा—यह भगवान कृष्ण को समर्पित एक त्यौहार है जिसमें विशेष प्रकार का प्रसाद चढ़ाया जाता है। इस दिन लोग प्रकृति माँ के प्रति कृतज्ञता और सम्मान व्यक्त करते हैं।
- पांचवां दिन – भाई दूज – यह एक ऐसा त्यौहार है जो भाई-बहनों, विशेष रूप से भाई और बहन के बीच के रिश्ते का जश्न मनाता है।
दीपावली पर क्यों करते है लक्ष्मी जी की पूजा ?

दिवाली के दिन भगवान राम जब 14 वर्ष के वनवास के बाद वापस लौटे थे तो इसलिए उनके आगमन पर लोगों ने दीप जलाकर उत्सव मनाया था। साथ ही इस दिन मां लक्ष्मी अपने वाहन उल्लू पर भ्रमण करने के लिए निकलती हैं। जिस वजह से इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने का विशेष महत्व माना जाता है। साथ ही दिवाली का त्योहार प्रकाश का पर्व भी कहा जाता है। दिवाली बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व है। दिवाली के दिन लोग अपने घर और कार्यस्थल पर लक्ष्मी पूजन करते हैं ताकी उनके घर में सालभर मां लक्ष्मी का वास बना रहे।