क्या गणेश चतुर्थी के दिन चांद देखना अशुभ माना जाता है?, क्यों चन्द्रमा देखने की मनाही है ?

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, गणेश चतुर्थी को कलंक चतुर्थी भी कहा जाता है। इस दिन चंद्र दर्शन की मनाही होती है। इस दिन चन्द्रमाँ को देखना अशुभ माना जाता है !कहा जाता है कि गणेश चतुर्थी के दिन कभी भी चांद को नहीं देखना चाहिए. लेकिन जाने-अनजाने में अगर आपको चांद नजर आ जाता है तो इससे जो दोष लगता है उसे मिटाने के लिए उपाय भी है.

आज हम इस ब्लॉग में जानेगें की चतुर्थी का चाँद देखना क्यों अशुभ माना जाता ! इससे लगने वाले दोष को कैसे दूर करें ….

गणेश चतुर्थी 2025 :

गणेश चतुर्थी
गणेश चतुर्थी

गणेश चतुर्थी को विनायक चतुर्थी भी कहा जाता है इस साल 2025 में गणेश चतुर्थी 27 अगस्त 2025 से मनाई जाएगी !इस दिन लोग विधि-विधान से भगवान् गणेश की पूजा करते है , गणेश भगवान की मूर्ति को अपने घर में स्थापित करते है !गणेश चतुर्थी के दिन मान्यता है की चाँद को नही देखना चाहिए इसे अशुभ माना जाता है !

चतुर्थी में क्यों नही देखना चाहिए चाँद :

गणेश चतुर्थी
गणेश चतुर्थी

गणेश चतुर्थी के दिन चांद देखना बहुत अशुभ माना जाता है . ऐसा करने पर मिथ्या दोष लग जाता है. मिथ्या दोष से बचने के लिए इस दिन चांद को देखना मनाही है . अगर आपने ऐसा किया तो इससे जीवन में कई सारी दिक्कतें आती हैं.ये दिक्कत एक अनचाहा दोष है और इससे व्यक्ति गलत और झूठे आरोपों में फंस सकता है.

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दोष लगने के पीछे की मान्यता :

इस दोष के पीछे एक पौकाणिक कहानी भी है जो गणेश जी और उनकी सवारी से जुड़ी हुई है. एक बार भगवान गणेश अपने चूहे की सवारी करते हुए घर से निकले. मगर भारी वजन होने के कारण वह लड़खड़ा गए. उन्हें लड़खड़ाते हुए देखकर चंद्रमा उनका उपहास करने लगे . जिसे देखकर भगवान गणेश को क्रोध आ गया. तब भगवान गणेश ने चंद्रमा को श्राप दे दिया !

भगवान गणेश ने चन्द्रमा को श्राप दिया कि उन्हें अपने जिस रूप पर अभिमान है वो अब वैसा नहीं रहेगा। गणेश जी के श्राप देते ही चंद्रमाँ की सभी कलाएं नष्ट हो गईं। उनकी चमक पूरी तरह से चली गयी । गणेश जी ने ये भी कहा कि जो भी तुम्हारे इस रूप के दर्शन करेगा, उसे कलंकित होना पड़ेगा। इसके बाद चंद्र देव को अपनी गलती का एहसास हुआ। उन्होंने भगवान गणेश की पूजा की और भूल के लिए क्षमा मांगी।

चन्द्रमा की सच्ची निष्ठा से प्रसन्न होकर भगवान गणेश ने चंद्रदेव को वरदान मांगने के लिए कहा। तब चंद्रदेव ने श्राप से मुक्त होने का वरदान मांगा। जिस पर भगवान गणेश ने कहा कि अब ये श्राप तो वापस नहीं लौट सकता लेकिन मैं उसे सीमित कर सकता हूं। गणेश जी ने कहा कि चंद्र दर्शन से कलंकित होने का श्राप सिर्फ इसी चतुर्थी यानी भादो चतुर्थी पर ही लगेगा। कहते हैं तभी से इस चतुर्थी पर चंद्र दर्शन वर्जित माना जाने लगा।

भगवान् श्री कृष्ण पर लगा था दोष :

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार भगवान श्रीकृष्ण ने भी चतुर्थी का चांद देख लिया था,जिससे उनपर स्यामंतक मणि को चुराने का आरोप लगा था. तब भगवान् इसे झूठे कलंक से मुक्ति के लिए स्यामंतक मणि की खोज में निकल पड़े. वह मणि जामवंत के पास थी. जामवंत ने उस मणि को एक शेर को मारकर प्राप्त किया था. हालांकि सूर्य देव ने स्यामंतक मणि को सत्यभामा के पिता को दिया था. जिसे पहनकर उनका पुत्र जंगल में गया, वहां शेर ने उसे मार डाला और उस मणि को अपने पास रख लिया था. उस शेर से स्यामंतक मणि जामवंत के पास पहुंच गई थी .

दोष को दूर करने के उपाय :

गणेश चतुर्थी
गणेश चतुर्थी

यदि गणेश चतुर्थी पर गलती से भी चंद्रमा दिख जाए तो उसके दोष से बचने के लिए कुछ उपाय कर सकते हैं. दोष से मुक्ति पाने के लिए के लिए सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें. उसके बाद पूजा में उपयोग किए गए फल, फूल, मिठाई आदि को चंद्रमा को दिखाकर किसी जरुरतमंद को दान दे देना चाहिए. झूठे कलंक से मुक्ति के लिए नीचे दिए गए मंत्र का जाप करना चाहिए …

सिंह: प्रसेन मण्वधीत्सिंहो जाम्बवता हत:
सुकुमार मा रोदीस्तव ह्येष: स्यमन्तक:

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