उत्तरकाशी डूब के कगार में , बादल फटने से उत्तरकाशी के धराली गाँव में भारी तबाही

उत्तरकाशी डूब के कगार में:

उत्तरकाशी डूब के कगार में
उत्तरकाशी डूब के कगार में

उत्तराखंड के धराली गांव में मंगलवार को बादल फटने के कारण खीर गंगा नदी में आयी बाढ़ में 5 लोगों की मौत हो गई और 50 से ज्यादा लोग अभी भी लापता हैं। 11 जवानों का भी सुराग नही मिला ! बुद्धवार सुबह रेस्क्यूऔर सर्च ऑपरेशन के दौरान एक डेडबॉडी बरामद की गई। जिसकी पहचान अभी की जा रही है। अभी तक 140 से ज्यादा लोगों को रेस्क्यू किया जा चुका है। SDRF, NDRF, ITBP और आर्मी की टीम भी बचाव कार्य में जुटी हुई हैं।धराली मनमें 36 घंटे बाद भी नही पहुंची मशीने ,रेस्क्यू हुआ मुश्किल , 150 लोंगो के दबे होने की आशंका है !

प्रधानमंत्री ने संज्ञान लिया:

धराली में बादल फटने और भूस्खलन की घटना पर उत्तराखंड भाजपा के अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद महेंद्र भट्ट ने कहा, “यह बहुत ही दुखद घटना है और हम लगातार स्थिति पर नज़र बनाए हुए हैं. प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने भी इसका संज्ञान लिया है. SDRF, NDRF, ITBP और आर्मी की टीमें बचाव कार्य में जुटी हुई हैं।

सुषमा स्वराज का जीवन परिचय

बुधवार सुबह पीएम श्री नरेन्द्र मोदी जी ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से फोन पर बात चीत की। इसके बाद श्री धामी ने धराली और दूसरी जगहों का एरियल सर्वे भी किया। उन्होंने अधिकारियों के साथ रेस्क्यू ऑपरेशन को लेकर मीटिंग भी की।

गंगोत्री तीर्थयात्रियों के प्रमुख पड़ाव धराली गांव के बाजार-मकान, होटल बह गए खीर गंगा नदी में पहाड़ों से बहकर आए मलबे से बहे, सिर्फ कुछ ही सेकेंड में ये बर्बादी हुई। हर्षिल में सेना के 11 जवान बादल फटने के बाद से लापता हैं , जिनकी खोजबीन जारी है ।

हिमालय की दरार पर बसा है धराली , पहले भी कई बार तबाह हो चूका है

उत्तरकाशी डूब के कगार में
उत्तरकाशी डूब के कगार में

धराली गांव में पहले भी बादल फटे थे। इससे खीर नदी ने तबाही मचाई थी । भूगर्भ वैज्ञानिकों ने उन आपदाओं के बाद धराली गांव को कहीं और बसाने की सलाह राज्य सरकार को दी थी।

यह भी बताया था कि आपदा के लिहाज से धराली टाइम बम पर बैठा है, लेकिन इसे वहां से शिफ्ट नहीं किया गया।

वरिष्ठ भूगर्भ वैज्ञानिक प्रो. एसपी सती के अनुशार .:

धराली ट्रांस हिमालय (4 हजार मी. से ऊपर) में मौजूद मेन सेंट्रल थर्स्ट में है। यह एक दरार होती है, जो मुख्य हिमालय को ट्रांस हिमालय से जोड़ती है। ये भूकंप का अति संवेदनशील जोन भी है। जिस पहाड़ से खीर गंगा नदी आती है, वो 6 हजार मी. ऊंचा है, जब भी वहां से सैलाब आता है, धराली को तहस-नहस कर देता है।

लगभग 6 महीने पहले भी पहाड़ी का एक हिस्सा टूटकर खीर नदी में गिर रहा था, लेकिन ये वहीं अटक गया। संभवत: इस बार वही हिस्सा टूटकर नीचे गिरा है।

हेलिकॉप्टर भी ऑपरेशन के लिए तैयार हैं

इंडियन एयरफोर्स के हेलिकॉप्टर भी ऑपरेशन के लिए तैयार हैं। सरसाव, चंडीगढ़ और बरेली एयरबेस से 2 चिनूक, 2 Mi-17V5, 2 चीता और एक ALH रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए तैयार हैं। हेलिकॉप्टर मौसम खराब होने की वजह से उड़ान भरने में सक्षम नहीं हैं। एयरफोर्स के हेलिकॉप्टर अपने अपने होम बेस से हर्षिल जाएंगे और फिर जरूरत पड़ने पर रेस्क्यू ऑपरेशन में शामिल होंगे।

1500 साल पुराना कल्प केदार मंदिर भी ध्वस्त हो गया है:

इस आपदा में धराली में स्थित प्राचीन कल्प केदार महादेव मंदिर भी मलबे में दब गया है। यह मंदिर भागीरथी नदी के किनारे स्थित है और यह मंदिर पंच केदार परंपरा से जुड़ा है। ये मंदिर स्थानीय लोगों की आस्था का सबसे बड़ा केंद्र था।

उत्तराखंड की सरकार ने दिए 20 करोड़ रूपए:

उत्रातराखंड की राज्य सरकार ने आपदा निधि से राहत और बचाव कार्य के लिए 20 करोड़ रुपए की राशि जारी कर दी है मंगलवार को सांसद अनिल बलूनी त्रिवेंद्र सिंह रावत और माला राज्य लक्ष्मी शाह ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह जी से मुलाकात की और उत्तरकाशी हादसे पर इस दौरान विस्तृत जानकारी दी। इसके साथ ही केंद्र सरकार से सहयोग का आग्रह किया गया है।

धराली की गंगोत्री धाम से 18 किमी की दूरी है

धराली उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित एक छोटा सा पहाड़ी गांव है। यह गांव भागीरथी नदी के तट पर हर्षिल घाटी के पास बसा हुआ है। धराली गांव गंगोत्री यात्रा का एक प्रमुख पड़ाव है। गंगोत्री धाम से पहले यह गांव है, जहां पर लोग आगे की चढ़ाई के लिए रुकते हैं। तीर्थयात्रियों को यहां रहने और खाने की पूरी सुविधा उपलब्ध होती है।

धराली देहरादून से 218 किमी और गंगोत्री धाम से 18 किमी दूर स्थित है। अब तक यह सामने नहीं आया है कि आपदा के समय यहां कितने लोग मौजूद थे। प्रशासन का कहना है कि नुकसान का आकलन अभी किया जा रहा है।

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