शारदीय नवरात्रि 2025:

शारदीय नवरात्री 2025: शारदीय नवरात्रि का आरंभ हर साल आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होता है। नवरात्री के नौ दिन तक मां दुर्गा के अलग-अलग नौ रूपों का पूजन होता है, नवरात्री का पूजन सब लोग करते है । नवरात्रि का व्रत जो लोग करते है उस पर माँ दुर्गा की कृपा बनी रहती है ।
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साथ ही घर परिवार में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है । जो लोग सच्चे मन और श्रद्धा से माँ की भक्ति करते है इन 9 दिन में पूजा पाठ करते है मां दुर्गा उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। हालांकि, पंचांग में एक साथ दो तिथि एक दिन होने से कभी नवरात्रि 9 दिन की तो कभी पूरे 10 दिन की होती है। आइए जानने की कोसिस करते है की इस साल कब से शुरू हो रही है नवरात्री और इस बार नवरात्रि कितने दिन की होगी।
शारदीय नवरात्री: घटस्थापना मुहूर्त, पूजा करने का शुभ मुहूर्त:

वैदिक गणना के अनुसार, 22 सितंबर को कलश स्थापना का शुभ समय प्रातः काल (सुबह) 06 बजकर 09 मिनट से लेकर सुबह 08 बजकर 06 मिनट तक रहेगा । इसके साथ ही फिर 11 बजकर 49 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 38 मिनट के मध्य भी कलश स्थापना कर सकते हैं।लोग अपनी सुविधा अनुसार समय पर कलश स्थापना नवरात्री त्योहार की शुरुआत कर सकते हैं।
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शारदीय नवरात्री 2025 कब से शुरू हो रही है?
नवरात्रि का त्यौहार इस बार 22 सितंबर से आरंभ हो रहा है। हर बार माता का आगमन और प्रस्थान का वाहन होता है। इस बार शारदा माँ का आगमन हाथी पर हो रहा है। इसको एक शुभ संकेत माना जाता है । नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना(कलश स्थापना ) की जाती है । कलश स्थापना के पहले दिन मां दुर्गा के स्वरूप शैलपुत्री की पूजा की जाती है।
शारदीय नवरात्रि 2025 (तारीख) कैलेंडर

पहला दिन : 22 सितंबर 2025 नवरात्रि : मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है
दूसरा दिन : 23 सितंबर 2025 नवरात्रि : मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है
तीसरा दिन : 24 सितंबर 2025 नवरात्रि : मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है
चौथा दिन : 25 सितंबर 2025 नवरात्रि : मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है
पांचवा दिन : 26 सितंबर 2025 नवरात्रि : मां कूष्माण्डा पूजा की जाती है
छठवा दिन : 27 सितंबर 2025 नवरात्रि : मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है
सातवा दिन : 28 सितंबर 2025 नवरात्र : मां कात्यायनी की पूजा की जाती है
आठवा दिन : 29 सितंबर 2025 नवरात्रि : मां कालरात्रि की पूजा की जाती है
नौवा दिन : 30 सितंबर 2025 नवरात्रि : मां महागौरी सिद्धिदात्री की पूजा
दसवा दिन : 1 अक्टूबर 2025 नवरात्रि : मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है
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नौ देवियों के पूजन का महत्व:

मानसिक शांति: मां चंद्रघंटा की विशेष पूजा करने से मानसिक शांति मिलती है और दुखों से मुक्ति प्राप्त होती है.
सुख-समृद्धि की प्राप्ति: नवरात्रि के नौ दिनों में नौ देवियों की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि और धन-संपत्ति का आगमन होता है.
कष्ट और संकटों से मुक्ति: देवी दुर्गा के इन स्वरूपों की पूजा करने से जीवन में आने वाले सभी कष्टों, परेशानियों और बाधाओं को दूर करने में मदद मिलती है.
बुराई पर अच्छाई की विजय: नवरात्रि देवी दुर्गा द्वारा राक्षस महिषासुर पर प्राप्त विजय का प्रतीक है. नव देवियों की पूजा करके यह संदेश मिलता है कि अच्छाई की हमेशा बुराई पर विजय होती है.
आंतरिक परिवर्तन और संतुलन: यह पर्व जीवन के शाश्वत चक्र और आंतरिक परिवर्तन का प्रतीक है. नौ देवियों की पूजा से चेतना के विभिन्न तत्वों का जागरण होता है, जिससे जीवन में संतुलन आता है.
ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव का शमन: नवरात्रि में नौ देवियों की पूजा करने से नवग्रहों की ऊर्जा शांत होती है, जिससे व्यक्ति के जीवन में संतुलन बना रहता है और नकारात्मक प्रभावों को दूर किया जा सकता है.
कार्य सिद्धि और सफलता: यदि किसी कार्य को सिद्ध करने में बाधाएं आ रही हों, तो देवी दुर्गा के आशीर्वाद से उन कार्यों को पूरा किया जा सकता है. नौ देवियों की पूजा से हर कार्य में कुशलता आती है.
इस बार तृतीया तिथि का नवरात्रि दो दिन रहेगी । 24 सितंबर को सूर्योदय होने के साथ ही तृतीया तिथि का आरंभ हो जाएगा और 25 तारीख में सुबह 7 बजकर 7 मिनट तक सूर्य उदय होगा इसलिए इस दिन भी तृतीया तिथि का नवरात्रि माना जाएगा। इसलिए दोनों दिन ही 24 और 25 तारीख को मां चंद्रघंटा की पूजा की जाएगी।
शारदीय नवरात्र की कहानी :
माँ दुर्गा के द्वारा महिषासुर राक्षस का वध करने की है . महिषासुर ने वरदान पाकर स्वर्ग पर अधिकार कर लिया था और देवताओं को परेशान कर रहा था. सभी देवताओं की शक्तियों से मां दुर्गा का जन्म हुआ और उन्होंने महिषासुर का अंत किया, जिसे बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है.
महिषासुर का आतंक :महिषासुर नामक राक्षस ने तपस्या करके देवताओ से वरदान ले लिया था की उसे कोई पुरुष मार नही ही सकता . अपनी शक्ति पर उसे बहुत घमंड था . वह स्वर्ग में आक्रमण कर दिया और देवताओं को वह से भगा दिया और स्वयं स्वर्ग का स्वामी बन गया .
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महिषासुर से परेशांन होकर देवताओ ने माँ दुर्गा शक्ति की को उत्पन्न किया .माँ दुर्गा में तीनो देवताओ की शक्ति ब्रह्मा ,विष्णु ,महेश की शक्ति समाहित है इसलिए उन्हें महाशक्ति कहा गया है
नौ दिनों तक युद्ध चला था माँ दुर्गा ने महिषासुर को परास्त किया तब से माँ दुर्गा की नौ दिनों तक पूजा होती है देवता भी देवी माँ की पूजा करते है . नौ दिनों के युद्ध के बाद दशवे दिन महिषासुर का संहार किया
विजय दशमी का पर्व :महिषासुर के संहार और देवताओ के मुक्ति मिलने की ख़ुशी में विजयदशमी का पर्व मनाया जाने लगा |