शिंकानसेन बुलेट ट्रेन की खासियत,जापान की बुलेट ट्रेन, 50 साल में आज तक नही गयी किसी की जान

शिंकानसेन बुलेट ट्रेन:

E10 सीरीज शिंकानसेन बुलेट ट्रेन जापान में तैयार की जा रही है , जो एक एडवांस बुलेट ट्रेन है. यह मौजूदा समय में चल रही E5 और E3 जैसी सीरीज वाली बुलेट ट्रेन का सबसे अपडेट और एडवांस वर्जन होगा. इस बुलेट ट्रेन की सबसे बड़ी खासियत ये है कि यह भूकंप के झटके को भी झेल सकती है. यह तेज गति में होने के बावजूद भी यह मौजूदा ट्रेनों से जल्दी रुक सकती है. दूसरे बुलेट ट्रेन की अपेक्षा इसमें सुविधाएं और आराम भी ज्यादा है.

E10 सीरीज की शिंकानसेन बुलेट ट्रेन की खासियत:

शिंकानसेन बुलेट ट्रेन
शिंकानसेन बुलेट ट्रेन

E10 शिंकानसेन सीरीज को जापान की रेलवे कम्पनी ने बनाया है. जिसकी रफ्तार 320 किमी प्रति घंटा है. यदि इसे पूरी क्षमता से चलाया जाएगा तो यह 360 किमी प्रति घंटा तक भी पहुंच सकती है. इसका ब्रेकिंग सिस्टम भी बहुत एडवांस है. यह ट्रेन टॉप स्पीड से रुकने के लिए 3.4 किमी से कम दूरी लेती है, जबकि E5 बुलेट ट्रेन को रुकने के लिए 4 किमी की जरूरत होती है. इसका इंजन भी ज्यादा पावरफुल और जादा एडवांस है. भविष्य में इसे पूरी तरह ऑटोमैटिक तरीके से भी चलाया जा सकता है.

जापान में शिंकानसेन नाम की हाई-स्पीड रेलवे का निर्माण ,अप्रैल 1959 में टोक्यो और ओसाका के बीच 515 किमी (320 मील) लंबे ट्रैक पर शुरू किया गया था , जिसकी योजना यह थी कि 210 किमी प्रति घंटे (130 मील प्रति घंटे) की रफ़्तार वाली विद्युतीकृत ट्रेनें एक समर्पित, चौड़े गेज वाले ट्रैक (अमेरिकी और यूरोपीय मानक गेज के अनुरूप) पर चलाई जाएँ जो बिना किसी लेवल क्रॉसिंग के हो। यह अवधारणा बाद में अन्य देशों में हाई-स्पीड रेल में भी फैल गई।

एक अभूतपूर्व स्वचालित ट्रेन नियंत्रण (एटीसी) प्रणाली द्वारा सुरक्षा को और बढ़ाया गया, जो ट्रेन के अनुमत गति से अधिक होने पर स्वचालित रूप से ब्रेक लगा देती थी। (इसने 
शिंकानसेन के अद्वितीय सुरक्षा रिकॉर्ड को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जहाँ परिचालन शुरू होने के बाद से कोई भी ट्रेन दुर्घटना-संबंधी मृत्यु नहीं हुई है।

इसका उद्देश्य सिविल इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी की इस असाधारण उपलब्धि को केवल पाँच वर्षों में पूरा करना था, ताकि टोक्यो 1964 ओलंपिक खेलों के दौरान 
शिंकानसेन को दुनिया के सामने पेश किया जा सके। कर्मचारी “ओलंपिक के लिए समय पर पहुँचें” के नारे के साथ एकजुट हुए।

तेज स्पीड की आवश्यकता :

शिंकानसेन बुलेट ट्रेन
शिंकानसेन बुलेट ट्रेन

पहली ‘सीरीज़ 0’ हिकारी बुलेट ट्रेन ने टोक्यो और ओसाका के बीच अपनी 515 किलोमीटर (320 मील) की यात्रा केवल 4 घंटे में पूरी की, जिसने 6 घंटे 30 मिनट के पिछले यात्रा समय को तोड़ दिया, घरेलू यात्रा को बदल दिया, और अगले दशक में आर्थिक विकास को गति दी। 2020 ‘सीरीज़ एन700एस’ नोज़ोमी ने 2 घंटे 22 मिनट में दूरी तय की,

और शिंकानसेन नेटवर्क देश भर में 2,997 किमी (1,863 मील) से अधिक हो गया है। शिंकानसेन कार्यक्रम ने नई तकनीकों का बीड़ा उठाया, जिससे इसकी ट्रेनें आराम और शांति से पहले अकल्पनीय गति तक पहुँचने में सक्षम हुईं। इनमें पुन: डिज़ाइन किए गए पैंटोग्राफ गैन्ट्री (जिसमें बिजली के तार होते हैं) शामिल थे जो शोर को कम करते थे, और कंपन को कम करने के लिए सैकड़ों मीटर के लंबे खंडों में वेल्डेड रेल इसके सभी घटक भाग जापान में बनाये गये थे, जिसके कारण टोकाइडो शिंकानसेन को  ‘जापानी लोगों की बुद्धिमत्ता और प्रयास का उत्पाद’ घोषित किया गया।

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E10 शिंकानसेन की तकनीकी विशेषताएँ:

शिंकानसेन बुलेट ट्रेन
शिंकानसेन बुलेट ट्रेन
  • अधिकतम गति 320 किमी/घंटा, तकनीकी क्षमता 360 किमी/घंटा तक।
  • L-शेप गाइड और लैटरल डैम्पर्स, जो भूकंप और झटकों से सुरक्षा देते हैं।
  • ब्रेकिंग डिस्टेंस में 15% की कमी, यानी ट्रेन 3.4 किलोमीटर में रुक सकती है।
  • व्हीलचेयर उपयोगकर्ताओं के लिए विशेष सीटें और लचीली सीटिंग व्यवस्था।
  • अधिक सामान रखने की सुविधा।
  • बिज़नेस क्लास में लेदर रिक्लाइनर सीट्स, इन-बिल्ट डेस्क और ऑनबोर्ड Wi-Fi।
  • भविष्य में पूरी तरह ऑटोमेटेड संचालन की क्षमता।

E10 ट्रेन का डिजाइन
ट्रेन का डिजाइन जापान के चेरी ब्लॉसम (सकुरा) फूलों से प्रेरित है और इसमें नवीनतम भूकंप-रोधी तकनीक शामिल है।

भारत में संचालन और भविष्य की योजनाएं
E10 सीरीज़ जापान में 2030 से परिचालन में आएगी। भारत में 2027 में E5 ट्रेन का अस्थायी रूप से उपयोग किया जाएगा, जबकि प्रधानमंत्री मोदी जापान में उस फैक्ट्री का दौरा भी करेंगे, जहां E10 ट्रेन का निर्माण हो रहा है। इसके अलावा, भारत में अन्य हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर्स के लिए भी योजनाओं पर चर्चा होगी।

बुलेट ट्रेन क्या है?
बुलेट ट्रेन या हाई-स्पीड ट्रेन आमतौर पर 250 किमी/घंटा से अधिक की गति से चलती है और इसके लिए अलग से डेडिकेटेड ट्रैक की आवश्यकता होती है। दुनिया के कई देशों जैसे जापान, फ्रांस, चीन, जर्मनी और स्पेन में यह सेवा पहले से उपलब्ध है।

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