भाई दूज क्यों मनाया जाता है ? जाने तारीख,महत्व और इसकी पौराणिक कथा।

भाई दूज क्यों मनाया जाता है:

भाई दूज क्यों मनाया जाता है
भाई दूज क्यों मनाया जाता है

भाई दूज एक पवित्र और पारंपरिक हिंदू पर्व है, जो भाई-बहन के स्नेह और प्रेम का प्रतीक माना जाता है। यह पर्व दीपावली के दो दिन बाद (कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को) मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाई की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए तिलक करती हैं और भाई उन्हें उपहार देते है | और बहने उन्हें यमराज से रक्षा के लिए प्रार्थना करती है |

भाई दूज कब है(2025 ) :

भाईदूज का त्यौहार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष के द्वितीया तिथि को मनाया जाता है!इस साल 2025 में द्वितीया तिथि 22 अक्टूबर 2025, को रात 08 बजकर 16 मिनट से लगेगी और इसका समापन 23 अक्टूबर 2025, को रात 10 बजकर 46 मिनट पर होगा। इसलिए भाईदूज का त्यौहार 23 अक्टूबर को मनाया जाएगा।

इस दिन भाई को तिलक करने का शुभ मुहूर्त दोपहर 01 बजकर 13 मिनट से 03 बजकर 28 मिनट तक रहेगा।दीपावली के पांच दिवसीय त्यौहार का अंतिम दिन भाई दूज त्यौहार होता है !इस दिन बहनें अपने भाई के माथे पर तिलक लगाती है और उनकी लंबी आयु और सुख-समृद्धि की प्रार्थना करती हैं.और भाई अपनी बहन को उपहार देता है और उसकी रक्षा का वचन देता है.

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भाई दूज की कहानी :

यमराज और यमुना की कथा

भाई दूज क्यों मनाया जाता है
भाई दूज क्यों मनाया जाता है

सूर्य देव की दो संतानें- पुत्र यमराज और पुत्री यमुना थी। यमुना अपने भाई यमराज से बहुत स्नेह करती थीं और वह उनसे बार-बार अपने घर भोजन पर आने के लिए कहा करती थीं। लेकिन यमराज अपने कार्यों में व्यस्त रहने के कारण अपनी बहन के निवेदन को टाल देते थे !

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि आई तब यमुना ने एक बार फिर से अपने भाई यम को भोजन के लिए निवेदन किया और उन्हें आने के लिए वचनबद्ध कर दिया! जिससे यमराज ,यमुना के घर आये ,यमराज को अपने घर आया देखकर यमुना बहुत खुश हुई।उन्होंने स्नान करके,अपने भाई के लिए स्वादिष्ट भोजन बनाया और बड़े आदर-सत्कार से भाई को भोजन कराया।

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बहन के इस स्नेह और सत्कार को देखकर यमराज बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने यमुना से कहा, “प्यारी बहना ! मैं तुम्हारे इस प्रेम को देखकर बहुत प्रसन्न हुआ! मै तुम्हे वरदान देना चाहता हु , तुम मुझसे कोई भी वरदान मांगो।”

यमुना ने कहा, “हे भैया! आप हर वर्ष इसी दिन मेरे घर में भोजन करने आया करें। फिर यमुना ने कहा – मेरा वरदान है कि आज के दिन जो भी भाई अपनी बहन के घर जाकर, उसके हाथ से बना भोजन करेगा और तिलक लगवाएगा ,उसे अकाल मृत्यु का भय नही होगा !

यमराज ने ‘तथास्तु’ कहा और यमुना को यह वरदान दे दिया। उन्होंने कहा कि आज के दिन जो भाई-बहन यमुना नदी में स्नान करेंगे, उन्हें यमलोक नहीं जाना पड़ेगा। इसी मान्यता के अनुसार, आज भी भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है। यह माना जाता है कि इस दिन बहन के घर भोजन करने से भाई की आयु लंबी होती है और उसके जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।

श्री कृष्ण और सुभद्रा की कथा

भाई दूज क्यों मनाया जाता है
भाई दूज क्यों मनाया जाता है

एक और पौराणिक कथा के अनुसार, जब भगवान श्री कृष्ण ने राक्षस नरकासुर का वध किया, तो उसके बाद वह अपनी बहन सुभद्रा से मिलने उनके द्वार पर गए। भाई को इतने समय बाद घर आया देखकर सुभद्रा बहुत प्रसन्न हुईं।

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उन्होंने फूलों की माला से अपने भाई का स्वागत किया, उनके माथे पर तिलक लगाया, आरती उतारी और उन्हें स्वादिष्ट मिष्ठान खिलाए। सुभद्रा के इस प्रेम और सम्मान को देखकर श्री कृष्ण ने उन्हें आशीर्वाद दिया। माना जाता है कि इसी दिन से भाई दूज के त्योहार की एक और परंपरा शुरू हुई।

भाई दूज कैसे मनाया जाता है?

भाई दूज क्यों मनाया जाता है
भाई दूज क्यों मनाया जाता है
  1. बहनें थाली में रोली, अक्षत, दीपक, मिठाई और नारियल आदि रखती हैं।
  2. भाई को तिलक करती हैं और आरती उतारती हैं।
  3. उन्हें मिठाई खिलाकर भोजन कराती हैं।
  4. भाई अपनी बहन को उपहार आभार प्रकट करता है।
  5. तिलक विधि करती है
  6. सबसे पहले पूजा की थाली तैयार करें।
  7. थाली में एक दीपक, रोली, अक्षत, हल्दी, मिठाई, सुपारी, सूखा नारियल और मौली धागा आदि चीजें रखें।
  8. अपने भाई का मुख उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशा की ओर करवाएं।
  9. बहनें अपने भाई के माथे पर रोली और अक्षत से तिलक लगाएं।
  10. तिलक लगाने के बाद, बहनें भाई की आरती उतारें और उन्हें मिठाई खिलाएं।
  11. इसके बाद, भाई अपनी बहन को उपहार देते हैं और उनकी सदैव रक्षा करने का वादा करते हैं।
  12. भाई दूज का महत्व (Bhai Dooj 2025 Katha)
  13. भाई दूज का पर्व यमराज और उनकी बहन देवी यमुना से जुड़ा है। कथा के अनुसार, कार्तिक माह की द्वितीया तिथि पर यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने के लिए गए। यमुना ने उनका तिलक कर आरती उतारी और उन्हें भोजन कराया। यमुना के प्रेम से खुश होकर यमराज ने वरदान दिया कि जो भी भाई इस दिन अपनी बहन के घर जाकर तिलक करवाएगा, उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं होगा। इसी वजह से इस पर्व को ‘यम द्वितीया’ के नाम से भी जाना जाता है |

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भाई दूज का संदेश:

भाई दूज न केवल पारिवारिक प्रेम और स्नेह का प्रतीक है, बल्कि यह यह भी सिखाता है कि परिवार के रिश्तों को समय देकर उन्हें और मजबूत बनाना चाहिए।


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