ज़ोहो ब्राउजर क्या है :

जोहो एप श्रीधर वेम्बू और टोनी थॉमस द्वारा 1996 में स्थापित किया गया था। चेन्नई में स्थित यह कंपनी क्लाउड-बेस्ड सॉफ्टवेयर और बिजनेस टूल्स बनाती है। इसमें 55 से भी ज्यादा टूल शामिल हैं, जैसे ईमेल, अकाउंटिंग, HR, प्रोजेक्ट मैनेजमेंट, CRM और प्रेज़ेंटेशन जैसे टूल ।वर्त्तमान में जोहो एप का यूज 150 देशों के 100 मिलियन यूजर्स द्वारा किया जा रहा है। जोहो प्रॉडक्टिविटी एप, जोहो ऑफिस सूट, जोहो मेल और जोहो कैलेंडर जैसे प्रमुख सर्विसेज शामिल हैं।
जोहो के टूल्स छोटे और बड़े व्यवसायों के लिए बहुत उपयोगी हैं इस एप के द्वारा डाक्यूमेंट, स्प्रेडशीट और प्रेज़ेंटेशन तैयार किए जा सकते हैं। इसे आसान भाषा में माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस का “देसी वर्जन” कहा जा सकता है। Zoho CRM, Zoho Books, Zoho Projects जैसे टूल्स व्यवसायिक प्रक्रियाओं को सरल बनाते हैं और यह कम लागत में सेवाएं प्रदान करते हैं।
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आईटी मिनिस्टर अश्विनी वैष्णव हुए ज़ोहो एप में सिफ्ट:

देश के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने एक बड़ा कदम उठाते हुए माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस और गूगल डॉक्स छोड़कर उन्होंने स्वदेशी एप जोहो (Zoho) का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। इस फैसले को तकनीकी और डिजिटल क्षेत्र में ‘मेड इन इंडिया‘ को बढ़ावा देने वाला माना जा रहा है।
मंत्री जी का यह फैसला आम लोगों और व्यवसायों को भी देशी डिजिटल टूल्स की ओर प्रेरित कर रहा है । जोहो एप के द्वारा दस्तावेज़, स्प्रेडशीट, प्रेज़ेंटेशन और कई बिजनेस मैनेजमेंट टूल्स का उपयोग किया जा सकता है, जिससे हमारी कार्यकुशलता बढ़ती है और विदेशी सॉफ्टवेयर पर हमारी निर्भरता भी कम होती है।
ज़ोहो ब्राउजर की विशेषता :

1-स्पीड और परफॉरमेंस: अब इंतज़ार नहीं, सिर्फ़ रफ़्तार
हम सभी एक धीमे ब्राउज़र से परेशान हो जाते हैं। ज़ोहो अपने तेज़ और ऑप्टिमाइज़्ड सॉफ्टवेयर के लिए जाना जाता है। इसलिए, यह उम्मीद करना स्वाभाविक है कि ज़ोहो ब्राउज़र को भी स्पीड के लिए ही डिज़ाइन किया जाएगा।
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- लाइटवेट डिज़ाइन: यह ब्राउज़र कम सिस्टम रिसोर्स (RAM और CPU) का इस्तेमाल करेगा, जिससे पुराने कंप्यूटर और लैपटॉप पर भी यह मक्खन की तरह चलेगा।
- तेज़ पेज लोडिंग: एडवांस टेक्नोलॉजी का उपयोग करके, यह वेबसाइट्स को पलक झपकते ही लोड कर देगा, जिससे आपका कीमती समय बचेगा।
- भारतीय सर्वर का लाभ: भारत में स्थित सर्वर का उपयोग करके, यह स्थानीय वेबसाइटों और कंटेंट तक और भी तेज़ी से पहुँच सुनिश्चित कर सकता है।
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2-सुरक्षा और प्राइवेसी: आपका डेटा, सिर्फ़ आपका
इंटरनेट पर हमारी सबसे बड़ी चिंता हमारी निजी जानकारी की सुरक्षा होती है। ज़ोहो हमेशा से डेटा प्राइवेसी का एक बड़ा समर्थक रहा है। उनका यह सिद्धांत उनके ब्राउज़र में भी दिखाई देगा।
- बिल्ट-इन ट्रैकर ब्लॉकर: यह ब्राउज़र आपको उन विज्ञापनों और ट्रैकर्स से बचाएगा जो आपकी ऑनलाइन गतिविधियों पर नज़र रखते हैं। इससे न सिर्फ़ आपकी प्राइवेसी सुरक्षित रहेगी, बल्कि वेब पेज भी तेज़ी से लोड होंगे।
- एंटी-फिशिंग टेक्नोलॉजी: यह आपको नकली और खतरनाक वेबसाइटों से आगाह करेगा, ताकि आपके पासवर्ड और बैंकिंग डिटेल्स सुरक्षित रहें।
- ज़ोहो का भरोसा: ज़ोहो की यह नीति है कि वह अपने उपयोगकर्ताओं का डेटा विज्ञापन के लिए नहीं बेचता। यह भरोसा ही इस ब्राउज़र को दूसरों से अलग बनाएगा।
“मेड इन इंडिया”: एक भारतीय ब्राउज़र क्यों ज़रूरी है?
एक भारतीय ब्राउज़र होने का मतलब सिर्फ़ “भारत में निर्मित” का टैग नहीं है, बल्कि इसके कई गहरे फायदे हैं:
- स्थानीय ज़रूरतें: इसे भारतीय उपयोगकर्ताओं की ज़रूरतों और इंटरनेट की आदतों को ध्यान में रखकर बनाया जाएगा। इसमें स्थानीय भाषाओं का बेहतरीन सपोर्ट और भारतीय कंटेंट तक आसान पहुँच हो सकती है।
- डिजिटल आत्मनिर्भरता: यह प्रधानमंत्री के ‘आत्मनिर्भर भारत’ विजन को साकार करने की दिशा में एक बड़ा कदम होगा। हमारा अपना ब्राउज़र होने का मतलब है कि हमारा डेटा और डिजिटल भविष्य हमारे अपने हाथों में है।
- स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा: एक सफल भारतीय ब्राउज़र देश में टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में नए अवसर पैदा करेगा और भारत की वैश्विक पहचान को और मज़बूत करेगा।
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किसने विकसित किया है जोहो ब्राउजर?
जोहो ब्राउजर को विकसित करने वाली कंपनी जोहो चेन्नई आधारित वैश्विक टेक्नोलाजी कंपनी है। जिसकी स्थापना 1996 में की गई थी। कंपनी के ब्राउजर से गूगल और अन्य सर्चिंग ब्राउजर से निर्भरता कम की जा सकेगी। इससे साइबर सुरक्षा की चिंताओं से भी निपटना आसान होगा|
कंपनी ने दावा किया है की यह ब्राउजर को बच्चों के अनुकूल बनाया गया है। इसमें पैरेंटिंग कंट्रोल का भी विकल्प आसानी से मिलेगा। यह एप घरेलू भाषाओं को भी सपोर्ट करेगा।